जियो अौर जीने दो
जियो और जीने दो हर इन्सान को
खेलो ना खिलौना जानकर किसी की जान को
एक नूर से उपजे हैं हम सब समान हैं
हम सब में उसकी लौ है हम उसकी सन्तान हैं
फिर धर्मो ,जाति में क्यों बाँटते हो इन्सान को
जियो और जीने दो हर इन्सान को
जरा सोचो क्या सपना था वतन के शहीदों का
क्या ये क़त्ल नहीं उनकी उम्मीदों का
क्या ये गाली नहीं उनके बलिदान को
जियो और जीने दो हर इन्सान को
अभी प्रगति की कई मंजिलों को पाना है
आगे बढ़ती दुनिया से हर कदम मिलाना है
कुछ कर दिखाना है हिन्दुस्तान को
जियो और जीने दो हर इन्सान को
मंदिर मस्जिद के नाम पर ना विवाद खङ़े करो
बेमतलब के झगड़े ना बेबुनियाद खड़े करो
काफ़ी है गर समझ लो गीता को क़ुरान को
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